Sunday, December 6, 2015

खुशबू बिखेरती

खुशबू बिखेरती

खुशबू बिखेरती हुई गुलाब की कलि हो,
तितली सी उड़ती हुई नाजों से पली हो,
संगमरमरी बदन लिए सांचे में ढली हो,
कितनों को लूट लिया तुम वो मन चली हो..
खुशबू बिखेरती


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